Fitter Trade : कपलिंग द्वारा शक्ति संचालन | Power Transmission by Coupling | फिटर Second Year Theory | ITI Fitter Second Year Question

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Coupling (कपलिंग) – वर्कशॉप में पावर को पारेषित करने के लिए साधारणतः 20 फुट तक की शॉफ्ट बनाई जाती है। कभी कभी अधिक लम्बाई की शॉफ्टों की आवश्यकता होती है, जिसके लिए दो या दो से अधिक शॉफ्ट किसी माध्यम से जोड़कर प्रयोग में लाये जाते हैं व इनमें से एक माध्यम कपलिंग है। अतः कपलिंग दो शॉफ्टों को आपस में जोड़ने के लिए प्रयोग की जाती है जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर अलग किया जा सकता है।
शॉफ्ट पर कपलिंग के नजदीक दोनों ओर बियरिंग शॉफ्ट ( Bearings) लगाई जाती है। ये बियरिंग शॉफ्ट को सहारा देने का कार्य करती है।
कपलिंग द्वारा जोड़ने पर शॉफ्ट ठोस शॉफ्ट ( Solid Shaft ) की तरह काम करता है। कपलिंग प्राय: अलग अलग धातुओं की बनाई जाती है।
मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार की कपलिंग प्रयोग में लाई जाती है–
चित्र मेें देेेख सकते है कि कपलिंग प्राय: फिसलन मुक्त होती है। निरंतर घूर्णन गति बनाए रखती है। दो शॉफ्टों की गति को आसानी से ट्रांसमिट कर सकती है। कार्य के अनुसार विभिन्न प्रकार की कपलिंग प्रयोग की जाती है।
1. सुरक्षित तथा फिसलन टाइप कपलिंग ( Safety and Slip Type Coupling ) :- इस कपलिंग में दो के जबड़े होते हैं जो आपस में फंसकर घूर्णन गति में सहयोगी होते हैंं।
ऊपर चित्र 2 में इस कपलिंग के भाग दर्शाए गए हैं। (1) जबड़े (Jaw) (2) स्प्रिंग (Spring)  (3) ड्रिविन शॉफ्ट (Driven shaft) (4) गाइड पिन (Guide pin)
2. प्लेट कपलिंग (Plate Coupling) :- 
दोनों शॉफ्ट को पूर्ण रूप से कार्य में सुचारु रूप से चलाने के लिए सबसे उपयोगी प्लेट कपलिंग होती है। शॉफ्ट को शॉफ्ट तथा हब के बीच चाबी के साथ पकड़ा जाता है।
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