फिटर शॉप थ्योरी (Fitter Theory)… Fitter Trade Fitter Theory In Hindi Fitter Trade Theory iti fitter theory books pdf download, fitter trade theory ebook free download , iti fitter theory books pdf download, iti fitter objective type questions and answers pdf
✅ किसी असेम्बली या मशीन के जब सभी पार्ट्स बन जाते हैं, तो उन्हे चेक करने के बाद दूसरे प्रकार के कारीगरों के पास भेज दिया जाता है, जिन्हें फिटर कहते हैं।
✅ फिटर कई तरह के होते हैं- बैच फिटर, एसेम्बली फिटर तथा इरेक्शन फिटर।
✅ बैच फिटर ऐसा कारीगर होता है जो अपने काम का लगभग 75% काम हैंड टूल्स तथा 25% काम मशीनों के द्वारा करते हैं।
✅ एक कुशल फिटर को मार्किंग, फाइलिंग, हेक्साइंग चिपिंग, सक्रैपिंग, ड्रिलिंग, रीमिंग, वेल्डिंग एवं ग्राइडिंग, ब्रेजिंग, फोजिंग, रिवेटिंग, शीट मैटलिंग तथा लेथ कार्य में निपुणता होना आवश्यक होता है।
✅ फाईल एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसका प्रयोग जॉब से अनावश्यक धातुओं को हटाने के लिए किया जाता है।
✅ नई फाइल को सबसे पहले मुलायम धातु पर प्रयोग किया जाता है।
✅ फाइल ब्लेड हार्ड कार्बन स्टील और साधारण कार्बन स्टली के बने होते हैं।
✅ फाइल ब्लेड में 28 से 32 टीथ प्रति इंच होते हैं।
✅ कोर्स ब्लेड में 14 से 18 टीथ प्रति इंच होते हैं।
✅ फाइल का ओवर कट दाँते 60° और अप कट दाँते 75-80° के कोण पर बने होते हैं।
✅ फाइल की स्ट्राकों में प्रति मिनट संख्या औसतन 40° से 80° होनी चाहिए।
✅ फाइल पर दो संलग्न दाँतों के बीच की दूरी पिच कहलाती है।
✅ घड़ीसाज स्विच फाइल का प्रयोग करते हैं।
✅ फाइल की हार्डनेस सामान्यता 60-64 HRC रखी जाती है।
✅ सिंगल कट में 60° से 85° तक के कोण पर टीथ कटे होते हैं।
✅ डबल कट फिनिशिंग के लिए पहला कट 30° तक होता है।
✅ ड्रील का प्रयोग सामान्यता किसी धातु में सुराख करने के लिए किया जाता है।
✅ ड्रिल प्रय: हार्ड कार्बन स्टील या स्पीड स्टील से बनाए जाते हैं।
✅ कटिंग एंगल ड्रिल का प्वाइंट एंगल होता है जो कार्य के अनुसार 60° से 150° तक रखा जाता है।
✅ साधारण कार्यों के लिए कटिंग एंगल का प्वाइंट 118° रखा जाता है।
✅ क्लीयरेंस एंगल का प्रयोग एंगल लिप को क्लीयरेंस देने के लिए बनाया जाता है जो कि कार्य के अनुसार 7° से 150° तक रखा जाता है।
✅ नम्बर ड्रिल का नम्बर 1-80 होता है।
✅ नम्बर-1 का ड्रिल सबसे बड़ा और नम्बर-80 का ड्रिल सबसे छोटा साइज का होता है।
✅ यदि ड्रिल की स्पीड (R.P.M) ज्ञात हो तो ड्रिल का व्यास बढ़ने से कटिंग स्पीड भी बढ़ती है।
✅ ड्रिल की चाल को चक्कर/मिनट में मापा जाता है।
✅ ड्रिल ग्राइंडिंग गेज का कोण 121° होता है।
✅ ड्रिल चक्र में प्राय: तीन सुराख होते है।
✅ रीमर एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसका प्रयोग किए हुए ड्रिल होल को फिनिश करने के लिए और उसका साइज बढ़ाने के लिए किया जाता है।
✅ रीमर के लिए ड्रिल साइज की गणना का सूत्र है: रीमर ड्रिल साइज = रीमर साइज (अण्डर साइज + ओवर साइज)
✅ रीमर के कटिंग वाले भाग की हार्डनेस हाई स्पीड स्टील रीमर के लिए 62 से 62 HRC तथा हार्ड कार्बन स्टील रीमर के लिए 6 से 64 HRC होनी चाहिए।
✅ लेटर ड्रिल अक्षरों मे पाये जाते हैं जो कि A से Z तक होते हैं।
✅ प्रत्येक चक्कर में ड्रिल धातु को काटता हुआ जितनी गहराई में जॉब के अन्दर प्रवेश करता है वह उसकी फीड कहलाती है।
✅ टैप एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसके द्वारा अन्दरूनी चूड़ियाँ काटी जाती है।
✅ टैप प्राय: हार्ड कार्बन स्टील के बनाए जाते हैं।
✅ टैपर टैप में लगभग 6 चूड़ियाँ ग्राइंड होती है।
✅ मीडियम टैप में 4 या 5 चूड़ियाँ ग्राइंड होती है।
✅ प्लग टैप में कोई चूड़ियाँ ग्राइंड नहीं होती हैं।
✅ टैप्ड होल की परिशुद्धता चेक करने के लिए प्लग थ्रेड गेज का प्रयोग होता है।
✅ डाई भी एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसका प्रयोग बाहरी चूड़ियाँ काटने के लिए होता है।
✅ डाई प्राय: कास्ट स्टील की बनी होती है।
✅ फिक्सड डाई के अंदर चार होल होते हैं।
✅ स्पिलिट डाई के अन्दर तीन स्क्रू लगे होते हैं।
✅ खराब चूड़ियाँ को सही करने के लिए डाई नट का प्रयोग होता है।
✅ चूड़ी के सबसे ऊपरी भाग को क्रैस्ट कहते हैं।
✅ स्क्रेपर एक कटिंग टूल है, जिसका प्रयोग सरफेस से हार्ड स्पॉट्स को हटाने के लिए किया जाता है।
✅ स्क्रैपर प्राय: टूल स्टील से बनाए जाते हैं।
✅ ट्रेंगुलर स्क्रेपर में तीन कटिंग ऐज होते हैं।
✅ चीजल एक कटिंग टूल है, जिसका प्रयोग ऐसी धातु को काटने के लिए किया जाता है जिसे रेती या हेक्सा के द्वारा आसानी से नहीं काटा जा सकता है।
✅ चीजल प्राय: हाई कार्बन स्टील से बनाई जाती है।
✅ चीजल की बॉडी प्राय: षट्भुज आकार की होती है।
✅ चीजल का कटिंग एंगल 60° होता है।
✅ चीजल के कटिंग ऐज का हार्डनेस 53 से 59 HRC होना चाहिए।
✅ हेक्सा एक ऐसा औजार है जिसका प्रयोग वर्कशाप धातुओं को काटने के लिए किया जाता है।
✅ हेक्सा प्राय: हार्ड कार्बन स्टील, लो एलॉय स्टील या हाई स्पीड स्टील से बनाए जाते हैं।
✅ हेक्साइंग करते समय हेक्सा की औसतन चाल 40 से 50 स्ट्रॉक प्रति मिनट होनी चाहिए।
✅ हैमर का भार चीजल की अपेक्षा दोगुना होना चाहिए।
✅ स्लैज हैमर का वजन 4 पौंड से 20 पौंड तक होता है।
✅ हैमर प्राय: हाई कार्बन स्टील के बनाए जाते हैं
✅ हैण्ड हैमर के पैन तथा फेस के बीच के भाग को चीक कहते हैं।
✅ जिस औजार की सहायता से पेंच को कसा या ढीला किया जाता है उसे पेंचकस कहते हैं।
✅ पेंचकस प्राय: कार्बन स्टील के बनाये जाते हैं।
✅ प्लायर वह औजार है, जो छोटे-छोटे जॉब या धातुओं को पकड़ने, काटने या मोड़ने के काम आता है।
✅ प्लायर मुख्यता ढलवाँ इस्पात से बनाया जाता है।
✅ स्नैपर का प्रयोग प्राय: नट व वोल्ट को कसने या खोलने के लिए किया जाता है।
✅ स्पैनर दो मुँह वाले होते हैं।
✅ कैलिपर्स एक अप्रत्यक्ष मापी औजार है जिसका प्रयोग स्टील रूल की सहायता से किसी जॉब की लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई और व्यास आदि की माप के लिए किया जाता है।
✅ कैलिपर्स प्राय: हाई कार्बन स्टील या माइल्ड स्टील का बना होता है।
✅ रेखीय माप के लिए वर्नियर कैलिपर्स का प्रयोग किया जाता है।
✅ ट्राई स्क्वायर एक प्रकार का चैकिंग व मार्किंग टूल है जिसका मुख्य कार्य किसी जॉब को 90° के कोण में चैक करने के लिए किया जाता है।
✅ ब्रिटिश मान संस्था की स्थापना 1855 ई. में हुई थी।
✅ “की” सीट रूल का प्रयोग किसी शाफ्ट पर चाबी घाट की मार्किंग के लिए किया जाता है।
✅ श्रिंक रूल का प्रयोग मोल्डिंग शाप में किया जाता है।
✅ 1 गज = 3 फुट = 0.914 मी. होता है।
✅ 1 मीटर = 39.37 इंच = 1.094 गज होता है।
✅ स्क्राइवर का प्रयोग मार्किंग करते समय लाइनें खींचने के लिए किया जाता है।
✅ ट्रेमल का प्रयोग बड़े साइज के वृत व चाप की मार्किंग के लिए किया जाता है।
✅ स्क्राइबर द्वारा लगाई गई लाइन को कार्य करते समय पक्का रखने के लिए प्रयोग मे लाया जाने वाला टूल ‘पंच’ कहलाता है।
✅ पंच प्राय: हाई कार्बन स्टील से बनाये जाते हैं।
✅ पंच के प्वाइंट की हार्डनैस 55 से 59 HRC होती है।
✅ प्रिंक पंच का कोण 30°, डॉट पंच का कोण 60° तथा सेन्टर पंच का कोण 90° होता है।
✅ “बी” ब्लॉक का प्रयोग गोल जॉब को सहारा देने के लिए किया जाता है।
✅ डायगॉनल फिनिश का चिन्ह X है।
✅ इलेक्ट्रोप्लेटिंग परमानेंट एंटी कोरोसिव ट्रीटमेंट हैं।
✅ किसी गोल रॉड के सिरे का केन्द्र जेनी केलिपर, सरफेस गेज, सेंटर हैड तथा बैल पंच द्वारा निकाला जाता है।
✅ सरफेस प्लेट प्राय: वर्गाकार एवं आयताकार होती है जो प्राय: तीन ग्रिड में पाई जाती है।
✅ कास्ट आयरन का गलनांक 1150° से 1200° तक होता है।
✅ फरनेस के तापमान को मापने के लिए पायरोमीटर का प्रयोग किया जाता है।
✅ हाई स्पीड स्टील के टूल की हार्डनैस प्राय: 60 HRC हेती है।
✅ माइक्रोमीटर स्क्रू थ्रेड की लीड और पिच के सिद्धांत पर बनाया गया है।
✅ माइक्रोमीटर के आविष्कारक जिम पॉमर थे।
✅ किसी माइक्रोमीटर की प्रारंभिक रीडिंग को जीरो रीडिंग कहते हैं।
✅ शीट की मोटाई चैक करने के लिए वायर गेज का प्रयोग होता है।
✅ जॉब का कोण चैक करने के लिए केवल गेज का प्रयोग होता है।
✅ रिफरेंस गेज को मास्टर या कंट्रोल गेज कहते हैं।
✅ हाई लिमिट और लो लिमिट के अन्तर को टॉलरेंस कहते हैं।
✅ इंडियन सटैण्डर्ड के अनुसार होल के उच्चतम विचलन का संकेत चिन्ह ES है।
✅ भारतीय सटैण्डर्ड के अनुसार समानान्तर ले का प्रतीक ‘=’ है।
✅ गेलवनाइजिंग सेमी परमानेंट एंटी कोरोसिव ट्रीटमेंट है।
✅ लम्ब रूप में फिनिश के लिए चिन्ह 1 है।
✅ साधारण सोल्डर का गलनांक 205° C होता है।
✅ लैथ बैड की धातु कास्ट स्टील की होती है।
✅ लुब्रिक्रेंट के बहाव की माप को विस्कोसिटी कहते हैं।
✅ कास्ट आयरन में ड्रिलिंग करते समय किसी भी कूलेंट की आवश्यकता नहीं होती है।
✅ यूनिफार्म स्टीप टेपर कम्पाउंड रेस्ट विधि से काटा जाता है।
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Aapke notes bahut hi intrasted rahte hai
Yadi aapka koi WhatsApp group hi to game link send kar dijiyega
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जॉब का कोण चैक करने के लिए केवल गेज का प्रयोग होता है।-:बेवलगेज होना चाहिए…..
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